सच कहूं तो......
सोचना अच्छा लगता है....................
यायावर की तरह विचरना...................
और फिर विचरते हुए खो जाना अच्छा लगता है......
रात की गुमनामी और फिर दिन की चुनौति अच्छी लगती है.........
जीवन से प्रेम और जीवन का संघर्ष अच्छा लगता है.........
और सच कहूं तो लड़ना अच्छा लगता है......
यही मैं और मेरी दूनिया है.......
Friday, July 18, 2008
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